भारतीय मजदूर संघ – एक नज़र में : भारत के ट्रेड यूनियन क्षेत्र में जिन परिस्थितियों में भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) अस्तित्व में आया, उसने ट्रेड यूनियन आंदोलन में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका को आकार दिया है। भारतीय मजदूर संघ की स्थापना 23 जुलाई, 1955 को हुई थी – यह दिन स्वतंत्रता संग्राम के दिग्गज लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की जयंती का दिन है। इस संबंध में दो महत्वपूर्ण पहलू सामने आते हैं:
(ए) भारतीय मजदूर संघ का गठन मौजूदा ट्रेड यूनियन संगठनों में विभाजन का नतीजा नहीं था, जैसा कि लगभग सभी अन्य ट्रेड यूनियनों के मामले में हुआ। इसलिए इस पर जमीनी स्तर से अपने संगठनात्मक ढांचे को बनाने की बड़ी जिम्मेदारी थी। इसकी शुरुआत शून्य से हुई थी, जिसमें कोई ट्रेड यूनियन नहीं थी, कोई सदस्यता नहीं थी, कोई कार्यकर्ता नहीं था, कोई कार्यालय नहीं था और कोई फंड नहीं था।
(ख) पहले ही दिन इसे एक ट्रेड यूनियन के रूप में देखा गया, जिसका आधार-पत्रक आधार होगा – राष्ट्रवाद, एक वास्तविक ट्रेड यूनियन के रूप में काम करना, खुद को दलीय राजनीति से पूरी तरह दूर रखना। यह अन्य ट्रेड यूनियनों से भी अलग था जो किसी न किसी राजनीतिक दल से, प्रत्यक्ष रूप से या अन्यथा, जुड़े हुए थे। इसलिए, बीएमएस का उदय वास्तव में ट्रेड यूनियन के क्षेत्र में मील का पत्थर कहा जा सकता है।