भारतीय मजदूर संघ उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा गैर राजनीतिक श्रमिक संगठन है। इसकी स्थापना भोपाल में महान विचारक दत्तोपंत ठेंगड़ी जी द्वारा प्रख्यात स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के जन्मदिवस 23 जुलाई 1955 को हुई। भारत के अन्य श्रम संगठनों की तरह यह किसी संगठन के विभाजन के कारण नहीं बना वरन एक विचारधारा के लोगों को सम्मिलित प्रयास का परिणाम है।
यह देश का पहला मजदूर संगठन है, जो किसी राजनैतिक दल की श्रमिक इकाई नहीं, बल्कि मजदूरों का, मजदूरों के लिए, मजदूरों द्वारा संचालित अपने में स्वतंत्र मजदूर संगठन है। भारतीय मजदूर संघ उत्तर प्रदेश 1957 में अपने स्थापना के पश्चात द्रुत गति से उन्नति करते हुए वर्तमान में 7 महासंघ 792 यूनियनों के साथ 18 लाख सदस्य संख्या है।
भारतीय मजदूर संघ उ.प्र. ने अपने स्थापना के 54 वर्ष पूरे होने परर यानि की वर्ष 2011 में 14 लाख से अधिक सदस्यता दर्ज कर प्रदेश का पहले नंबर का श्रमिक संगठन बना और यह सदस्यता वही पर रुकी नहीं, ना ही कम हुई बल्कि आज वर्तमान वर्ष 2023 में सदस्य संख्या लगभग 18 लाख है।
भारतीय मजदूर संघ उ.प्र. आज 792 यूनियन, संगठित व असंगठित क्षेत्र के 7 महासंघ के साथ लगभग 18 लाख सदस्यता संख्या वाला एकमात्र संगठन है। जैसा कि विदित है कि भारतीय मजदूर संघ उ.प्र. की स्थापना से लेकर 2025 में 68 वर्ष पूर्ण करने जा रहे हैं। इसकी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए संख्या, गुण, वित्त भारतीय मजदूर संघ का काम एवं संगठन विस्तार हेतु एवं तीव्र गति से बढ़ाने हेतु वर्ष 2025 तक भारतीय मजदूर संघ को लक्ष्य निर्धारित करने चाहिए।
- संख्यात्मक
- गुणात्मक
- वित्त संबंधी
संख्यात्मक-
भारतीय मजदूर संघ परिवार को 2025 तक संख्यात्मक रूप से वृद्धि करने के लिए निम्न बिंदुओं पर काम करना चाहिए।
. अभी प्रदेश में कुल 75 जिले हैं और भारतीय मजदूर संघ सभी जिलों में पहुंच चुका है।
. अभी प्रदेश में विकासखंड 822 हैं और भारतीय मजदूर संघ का सभी विकासखंडों में काम होना चाहिए। 2025 तक प्रत्येक विकास खंड के स्तर पर भारतीय मजदूर संघ उ.प्र. से इकाई खड़ी होनी चाहिए।
. प्रदेश में कुल 90 हजार से अधिक गांव हैं। प्रदेश मे कुल ग्राम पंचायत 58189 हैं, प्रत्येक ग्राम पंचायत में भारतीय मजदूर संघ की संगठनात्मक इकाई खड़ी करनी है।
.संगठित क्षेत्र के महासंघ को अपनी सबसे छोटी इकाई पर संगठन स्वरूप बनाना चाहिए। प्रत्येक महासंघ को 2025 तक अपने लक्ष्य निर्धारित कर कार्य करना चाहिए।
. असंगठित क्षेत्र के महासंघ अपनी जिला इकाई बनाएं।
. प्रदेश के अस्पतालों में भारतीय भारतीय मजदूर संघ का काम खड़ा करना और इकाई बनाना।
.राज्य कर्मचारी विभागों में भारतीय मजदूर संघ का काम बढ़ाना।
.चैरिटेबल ट्रस्टों में भारतीय मजदूर संघ का काम खड़ा करना जैसे कि मंदिर, मठ आदि।
. शिक्षा संस्थानों में भारतीय मजदूर संघ का काम खड़ा करना।
. ऑटोनोमस बोडीज के संस्थानों में भारतीय मजदूर संघ का काम खड़ा करना।
. प्रदेश के प्रत्येक विकास प्राधिकरण में काम खड़ा करना।
.स्टेट पब्लिक सेक्टर में काम खड़ा करना।
गुणात्मक-
वर्ष 2025 तक गुणात्मक रूप में वृद्धि हेतु निम्न रूप से लक्ष्य निर्धारित करना है।
. सभी स्तरों पर पुरुष, महिला एवं युवा अभ्यास वर्ग निर्धारित करना एवं प्रत्येक स्तर पर सुनिश्चित करना कि अभ्यास वर्ग कब, कहां और किसके द्वारा होगा, वार्षिक कैलेंडर में इंडिग करना।
. प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना क्षेत्र अनुसार सुनिश्चित करना।
. हर क्षेत्र में उस क्षेत्र की भाषा के अनुसार साहित्य प्रकाशन का काम होना चाहिए।
. सेवा कार्य जैसे की गरीबी, कुपोषण, बीमारी, बाढ़, जल आपूर्ति व अन्य गंभीर समस्या खोज कर अपने जिले में कोई एक सेवा कार्य अवश्य चलाएं इस कार्य हेतु भारतीय मजदूर संघ उ.प्र. के पदमुक्त कार्यकर्ताओं को सेवा से जोड़ा जाना चाहिए।
. भारतीय मजदूर संघ उ.प्र. के वरिष्ठ कार्यकर्ता बंधु/भगिनी का बीएमएस की रोजगार नीति, वेतन निर्धारण नीति इत्यादि जैसे गंभीर विषय पर अभ्यास वर्ग करना।
वित्त संबंधी-
वित्त कोष वृद्धि के लिए 2025 तक का लक्ष्य प्राप्ति के लिए-
. भारतीय मजदूर संघ से संबद्ध प्रत्येक यूनियन व जिला बैंक अकाउंट खुलवाएं।
.सदस्यता शुल्क चेक ऑफ सिस्टम से लेना।
.सदस्यता सूची निर्धारित करना।
.प्रत्येक जिले को वित्तीय आधार पर सक्षम बनाना। लक्ष्य निर्धारित करते हुए धन संग्रह अभियान चलाया जाए, विश्वकर्मा जयंती के उपलक्ष्य में धन समर्पण अभियान चलाये।
. जिला धन संग्रह का केवल 10 प्रतिशत केंद्र और 10 प्रतिशत प्रदेश में जमा करें एवं अन्य शेष 80 प्रतिशत जिले में संगठन की गतिविधि में सदुपयोग करें।
तीनों आयाम (1. संख्यात्मक 2. गुणात्मक 3. वित्त) में वृद्धि हेतु जिला स्तर पर विस्तारक/पूर्ण कालिक निकालने का कार्य शीघ्र कर 70 वर्ष के तय लक्ष्य प्राप्ति की ओर बढ़ना चाहिए।